दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैन्य बेसों पर स्मेल टेस्ट किया जा रहा, इससे कोरोना के शुरुआती लक्षणों का आसानी से पता लग रहा

कोरोनावायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया डरी हुई है। इसकी बड़ी वजह है कि बीमारी का पता बड़ी देर से चल पाता है। इस समस्या का समाधान दक्षिण कोरिया स्थित अमेरिकी सैन्य बेस ने ढूंढा है। उन्होंने यहां मौजूद हर व्यक्ति का स्मेल टेस्ट करना शुरू किया है। इससे शुरुआती तौर पर यह पता चल जाता है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है अथवा नहीं। 


अमेरिकी सेना के अफसर कैरोल और हेनरी सैन्य बेस के आस-पास के इलाकों में यह टेस्ट कर रहे हैं। इसके अलावा दक्षिण कोरिया के प्रमुख शहरों में भी यह टेस्ट हो रहा है। स्क्रीनिंग की इस प्रक्रिया के तहत लोगों को सेब का सिरका सूंघने के लिए कहा जाता है। अगर लोग इसकी खुशबू ले पाते हैं तो ठीक, नहीं ले पाने की सूरत में इसे कोरोना के शुरुआती लक्षण के तौर पर देखा जाता है। इस टेस्ट में फेल होने के बाद संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग की जाती है। ताकि इसकी पुष्टि की जा सके कि उसमें कोरोना संक्रमण है या नहीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के अलग-अलग मेडिकल संस्थानों ने भी इस बात को माना है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति की सूंघने और स्वाद पता करने की शक्ति खत्म हो जाती है।


दक्षिण कोरिया में देगु सैन्य बेस से ही संदिग्धों की पहचान के इस तरीके की शुरुआत हुई 


दक्षिण कोरिया में कोरोना की स्क्रीनिंग की शुरुआत सबसे पहले देगु के सैन्य बेस पर ही हुई थी। कोरोनावायरस के फैलने की शुरुआत में ही यहां स्मेल स्क्रीनिंग टेस्ट के साथ हर आने-जाने वाले का तापमान लेना अनिवार्य कर दिया गया था। इसीलिए, बेस में संक्रमण का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया। इसके बाद देश के अन्य सैन्य बेस और बड़े शहरों में यह स्क्रीनिंग प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई। गैरीसन सैन्य बेस के कमांडिंग अफसर एडवर्ड बैलेंकों के मुताबिक सावधानी बरतने की वजह से ही हमारे बेस पर एक भी सदस्य संक्रमित नहीं हुआ।


स्थानीय अस्पतालों में भी ऐसे ही जांच हो रही, डब्ल्यूएचओ कर रहा शोध


कर्नल बैलेंको ने बताया कि स्थानीय अस्पतालों में भी ऐसे ही स्क्रीनिंग हो रही है। इसमें व्यक्ति को सिरके में भीगी रुई सूंघने के लिए कहा जाता है और कुछ सवाल पूछे जाते हैं। उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ भी यह पता लगाने के लिए शोध कर रहा है कि कोरोना संक्रमण का स्वाद पहचानने और सूंघने की शक्ति पर क्या असर पड़ता है।


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कोरोनावायरस के संक्रमण से जूझ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनस को उनके आवास डाउनिंग स्ट्रीट के पास ही सेंट थॉमस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। जॉनसन की तबियत खराब होने की वजह से उन्हें ऑक्सीजन तक लगानी पड़ी है। हालांकि, इन हालातों में भी वह लगातार काम कर रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन के मंत्रियों ने उन्हें चर्चिल नहीं बनने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि पीएम अपना काम हैंडओवर करें और पर्याप्त नींद लें। बता दें कि विन्सटन चर्चिल को द्वितीय विश्व युद्ध का हीरो माना जाता है और पीएम जॉनसन उनसे खासा प्रभावित हैं। 27 मार्च को बोरिस जॉनसन की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया था। 10 दिन बाद रविवार रात उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल में उन्हें ऑक्सीजन लगाई गई है। बताया गया है कि बीमार होने के बावजूद बहुत ज्यादा काम करके उन्होंने अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाला है। सांसदों ने की काम हैंडओवर करने की मांग ब्रिटेन के कई सासंदों ने पीएम जॉनसन से काम हैंडओवर करने की मांग की है। एक सांसद ने कहा कि वह खुद को अपने हीरो विन्सटन चर्चिल की तरह दिखाना चाह रहे हैं। उन्हें ऐसे में आराम करना चाहिए। एक सासंद ने कहा कि जॉनसन को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किए गए चर्चिल के काम की तरह नकल नहीं करनी चाहिए। उन्हें दूसरे कैबिनेट मंत्री को कोरोनावायरस को लेकर देश की जिम्मेदारी देनी चाहिए। हालांकि, उनके डिप्टी डोमिनिक रैब रोज कोरोनावायरस क्राइसिस कमेटी की बैठक ले रहे हैं। एक सासंद ने कहा कि जॉनसन वीडियो कॉन्फ्रेंस में बहुत थके दिखते हैं। इससे देश को कोई प्रेरणा नहीं मिलेगी। जॉनसन ने चर्चिल पर कई किताबें लिखी हैं और वह उन जैसा ही बनना चाहते हैं। जॉनसन को बस बोरिस जॉनसन बने रहने की जरूरत है। वह किसी की कॉपी न करें। एक हफ्ते से फीवर से जूझ रहे हैं जॉनसन क्वारैंटाइन के दौरान जॉनसन ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में वह बहुत थके लग रहे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें अभी भी हाई फीवर है। विशेषज्ञों ने बताया कि जब हाई फीवर एक हफ्ते से ज्यादा रहता है तो निमोनिया जैसी बीमारी और खतरनाक हो जाती है। दावा किया गया है कि जॉनसन कॉन्फ्रेंस के दौरान बहुत खांसी भी आ रही थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनकी हाउसिंग सेक्रेटरी रॉबर्ट जेनरिक ने कहा कि जॉनसन बहुत कड़ी मेहनत कर रहे थे और उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही डाउनिंग स्ट्रीट में वापस आएंगे। वहीं, कोरोनावायरस से उबर कर आईं स्वास्थ्य मंत्री नडाइन डोरिस ने कहा कि प्रधानमंत्री को पर्याप्त नींद लेने और आराम करने की जरूरत है। ब्रिटेन में सोमवार तक संक्रमण के 47,806 मामले आ चुके हैं और 4,934 लोगों की मौत हो चुकी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के हीरो और भारत के लिए विलेन रहे हैं चर्चिल विन्सटन चर्चिल द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। वह सेना में अधिकारी भी रह चुके थे। वह एकमात्र प्रधानमंत्री थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सेना में अहम जिम्मेदारी संभाली थी। उन्हें विश्व युद्ध का हीरो बताया जाता है। इसके साथ ही विन्सटन की भारत के प्रति रवैया बहुत खराब था। 1943 में बंगाल का अकाल उन्हीं की देन था। उन्होंने अनाज को ब्रिटिश सेना के लिए बचा कर रखा था और भूखों को तड़पकर मरने दिया। भारत की आजादी के पहले उन्होंने ब्रिटेन की संसद में कहा था कि अंग्रेजों ने भारत छोड़ तो सत्ता दुष्ट और बदमाशों के हाथ में चली जाएगी।